जब मेरा वज़न, मेरा ब्लड-प्रेशर और कोलेस्टरोल,
तीनों कर गये दौ सौ का अंक पार,
मेरे डाक्टर को आ गया बुखार,
बोला, “भैये,
तुम जिन्दा कैसे हो यार?”
मैंने कहा, “रे डोक्टर!
मैं तो गया हार,
तुमने जबसे किया मनुहार
सब कुछ छोड़ दिया मैंने,
आलू के चिप्स, बर्गर,
कवाब, बिरयानी और अचार,
अब क्या सांस लेना भी छोड़ दूँ यार?”
फ़िर मैं बोला रोते-रोते,
“हर दिन दो-दो मील दौड़ते- दौड़ते,
मैं कर गया काउँटी की हद पार,
फ़िर भी किस्मत की मार,
वज़न वहीं का वहीं,
ब्लड-प्रेशर कहीं का कहीं,
कोलेस्टरोल ने रखा कहीं का नहीं,
जिन्दगी के दिन हैं चार,
दो कट गये टेस्ट कराने के लिये,
अब दो जो बच गये हैं बाकी,
उन्हें तो छोड़ दो खाने के लिये, यार!
तोफ़ू खाते-खाते मन हो गया खटटा,
सूखी रोटी और फ़ीकी दाल पीते-पीते,
बीमार हो गया यह शरीर हटटा-कटटा,
लो केलोरी का भूत जो तुमने बाँध दिया पल्लू,
दिल कहता है यह जीना भी कोई जीना है लल्लू?”
डाक्टर बोला, “देखो किस्मत की मार,
तुम्हारा एडवांस लिपिड कम्पोज़ीशन,
बाप-दादाओं से मिला है तूम्हें उपहार,
इसीलिये है तुम्हारा वज़न शानदार,
ब्लड-प्रेशर और कोलेस्टरोल ज़ोरदार।”
मैंने कहा, “सरकार!
विरासत में एडवांस लिपिड कम्पोज़ीशन के अलावा,
मुझे और भी बहुत कुछ मिला है प्यार का चढ़ावा,
लडडू बनाने की रेसिपी,
शाही टोस्ट के फ़ोर्मूले,
बालू शाही बनाने के तरीके,
बिर्यानी का पारिवारिक मसाला,
दादी की आज़्मायी रसोई,
नानी की पूरी-आलू की विधि,
इन सब को मैं कैसे भूल जाऊँ?”
डाक्टर बोला, “मैं बताऊँ?
इसका पूरा इलाज है मेरे पास,
तुम जरूर बनाओ यह रेसिपी खास,
और मेरे पास ले कर आओ,
बस प्यार से मुझे खिलाओ।
मेरे बाप-दादओं ने ना तो दी मुझे
विरासत में कोलेस्टरोल की निधि,
और ना ही आलू-पूरी बनाने की कोई विधि।
तुम बनाओ, मैं खाऊँ?”
सच बताऊँ,
मेरा मन तो किया
कि जूता ले आऊँ,
डाक्टर के दो-चार लगाऊँ।
पर जब अपनी किस्म्त में ही हो खार,
तो क्या करता यह बीमार?
अब तो बस यह आलम है यार,
मैं उठा रहा हूं अपनी विरासत का भार,
खुद खाता हूँ बेसवाद तोफ़ू और फ़ीकी दाल,
और डाक्टर के लिये ले कर जाता हूँ आलू पूरी का थाल,
मेरे बाप-दादे मुझे दे गये भार ऐसा,
डाक्टर साला हो रहा है हटटा-कटटा भैंसा,
होता जा रहा मेरा आकार ऐसे-का-तैसा,
अब तो मुझे दवा की नहीं,
दारू की भी नहीं,
सिर्फ़ दुआ की ज़रुरत है यार!
दुआ की ज़रुरत है यार!