मेरी एक प्रियजन कहती हैं की उन्हें मेरी रचना पढ़ कर कबीर का, उपर लिखा हुआ पद याद आ गया. और मुझे यह पढ़ कर अतीव संतोष हुआ कि मेरी छोटी-सी रचना अपने गंतव्य तक पहुँच गई. आप पूछेंगे कैसे? शायद आप नहीं भी पूछते, पर सुनिए क्यों. मेरा ब्लॉग मेरी माताजी के बारे में नहीं है. मेरा प्रमुख उद्देश्य उन सभी मुहावरे-कहावतों-पद-मिसरों को एक लय में जोड़ना है, जो मेरे बचपन के साथी थे, पर अब लुप्त होते जा रहे हैं. क्योंकि मेरी दादी, नानी, और माँ इन सब का भरपूर उपयोग करती थी; मैं मुहावरों की कहानी-माँ की ज़ुबानी सुना रहा हूँ. और मुहावरे तो हैं सबके, तो यह हो गई जगत-जननी की कहानी. हर उस माँ को डेडीकेटित जो अपने बच्चे को, रिश्तेदार या पडोसी के बच्चे को अच्छे संस्कार देती है. माँ की इस परिभाषा में पिताजी, दीदी-भैया, भुआ-फूफा, चाची-चाचा , मामा-मामी, दादी-दादू, नाना-नानी सभी आते हैं. कोई भी जो बच्चे के हित में नीति-अनुकरण करते हैं. यदि मेरे इस ब्लॉग में आपको अपनी माँ की या किसी और प्रियजन की छवि दिखाई दे, तो इसे अवश्य पढ़ें. यदि इसमें सूर-कबीर-तुलसी-नानक-दादू-मीरा-सूफी संत-ज़ेन-बच्चन-फिराक-फैज़-गुलज़ार दिखाई दें तो मुझे अवश्य बताएं, मुझे बहुत प्रसन्नता होगी की ऐसे महान लोगों की झलक मेरे ब्लॉग में दिखाई पड़ी. यदि आपको यह समय का नुकसान लगे तो कृपया इसे न पढ़ें और यदि हो सके तो मुझे बताएं कि मैं इसको कैसे अच्छा और आपके योग्य बनाऊं.
यदि आपको यह आभास भी हो मेरे ब्लॉग में कोई प्रीचिंग या उपदेशात्मक-रस दबे-पाँव घुस आया है तो कृपया मुझे सचेत कर दें. मैं अपना स्वर ठीक कर लूँगा. मेरा प्रयास केवल अनुकरण है उपदेश बिलकुल भी नहीं.
आशा है आप अपने विचार प्रगट करते रहेंगे, और यह सफ़र इकहरा न को कर दो-तफरा रहेगा. कल आपको बताऊंगा की माँ के विचार भाग्य और कर्म के बारे में क्या थे और उसके कारण मैं कैसी-कैसी मुसीबतों से बाहर निकला हूँ. तब तक के लिए नमस्कार, रोजी-रोटी की तलाश में मेरा प्रस्थान और आप भी खुश रहिये.
2 comments:
सच है कि आपके लेख से प्रेरणा मिलती है!
और जैसा कि पहले मैंने लिखा कि आपके इन लेखों को पढने के बाद मम्मी पापा के बताये कितने ही मुहावरे, कहावते और लोकोत्तियां याद आती हैं जिनके सहारे आज भी संघर्षों को झेलने में सहायता मिलती है!
जैसे - मम्मी हमेशा कहती थीं -
"हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम"
लेखनी कि गंगा यूं ही बहाते रहिये!!
मैंने आपका आलेख पढ़ा है और आपका प्रोफाइल भी बड़े गौर से देखा. मैं आपके द्वारा किये गये और किये जा रहे व्यावसायिक तथा साहित्यिक गतिविधियों के बारे में जान कर बहुत प्रभावित हुआ हूँ. प्रोफेशल जीवन में इतना व्यस्त होने के बावजूद ऐसा उत्तम साहित्य सृजन कर रहे हैं, यह प्रेरणा देने वाला है. धन्यवाद.
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